कवितालयबद्ध कविता
तस्वीरें दिखाती है जो अक्सर वह नही होता है।
झूठ के पीछे छुपा अक्सर सच खोता है।
मत यकीन करना इन तस्वीरों पर तुम
फिल्टर में ढका इनका चेहरा होता है।
दिखती है मुस्कान जो चेहरे पर अक्सर
आंखों में पर्दा पहचान का होता है।
बड़ी ही धोखेबाज हैं ये सुनहरी सी तस्वीरें
जिंदगी का असल चेहरा हमेशा खोता है।
जिनमें मुस्कान दिखाई देती है बहुत ज्यादा
वही चेहरा सबसे ज्यादा रोता है।
धन्य होती है वह तस्वीरें जो आईना हो समाज का
पर ऐसा अक्सर कहाँ होता है।
आखिर तस्वीरों से तस्वीरों का सामना कहाँ होता है। - नेहा शर्मा
सच लिखा, तस्वीरें अक्सर ही झूठ दिखाती हैं... सुंदर कविता
धन्यबाद आदरणीया।