Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-1 - AJAY AMITABH SUMAN (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-1

  • 438
  • 10 Min Read

जब सत्ता का नशा किसी व्यक्ति छा जाता है तब उसे ऐसा लगने लगता है कि वो सौरमंडल के सूर्य की तरह पूरे विश्व का केंद्र है और पूरी दुनिया उसी के चारो ओर ठीक वैसे हीं चक्कर लगा रही है जैसे कि सौर मंडल के ग्रह जैसे कि पृथ्वी, मांगल, शुक्र, शनि इत्यादि सूर्य का चक्कर लगाते हैं। न केवल वो अपने हर फैसले को सही मानता है अपितु उसे औरों पर थोपने की कोशिश भी करता है। नतीजा ये होता है कि उसे उचित और अनुचित का भान नही होता और अक्सर उससे अनुचित कर्म हीं प्रतिफलित होते हैं।कुछ इसी तरह की मनोवृत्ति का शिकार था दुर्योधन प्रस्तुत है महाभारत के इसी पात्र के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालती हुई कविता "दुर्योधन कब मिट पाया" का प्रथम भाग।

रक्त से लथपथ शैल गात व शोणित सिंचित काया,
कुरुक्षेत्र की धरती पर लेटा एक नर मुरझाया।
तन पे चोट लगी थी उसकी जंघा टूट पड़ी थी त्यूं ,
जैसे मृदु माटी की मटकी हो कोई फूट पड़ी थी ज्यूं।

भाग्य सबल जब मानव का कैसे करतब दिखलाता है ,
किचित जब दुर्भाग्य प्रबल तब क्या नर को हो जाता है।
कौन जानता था जिसकी आज्ञा से शस्त्र उठाते थे ,
जब वो चाहे भीष्म द्रोण तरकस से वाण चलाते थे ।

सकल क्षेत्र ये भारत का जिसकी क़दमों में रहता था ,
भानुमति का मात्र सहारा सौ भ्राता संग फलता था ।
जरासंध सहचर जिसका औ कर्ण मित्र हितकारी था ,
शकुनि मामा कूटनीति का चतुर चपल खिलाड़ी था।

जो अंधे पिता धृतराष्ट्र का किंचित एक सहारा था,
माता के उर में बसता नयनों का एक सितारा था।
इधर उधर हो जाता था जिसके कहने पर सिंहासन ,
जिसकी आज्ञा से लड़ने को आतुर रहता था दु:शासन।

गज जब भी चलता है वन में शक्ति अक्षय लेकर के तन में,
तब जो पौधे पड़ते पग में धूल धूसरित होते क्षण में।
अहंकार की चर्बी जब आंखों पे फलित हो जाती है,
तब विवेक मर जाता है औ बुद्धि गलित हो जाती है।

क्या धर्म है क्या न्याय है सही गलत का ज्ञान नहीं,
जो चाहे वो करता था क्या नीतियुक्त था भान नहीं।
ताकत के मद में पागल था वो दुर्योधन मतवाला,
ज्ञात नहीं था दुर्योधन को वो पीता विष का प्याला।

अजय अमिताभ सुमन:सर्वाधिकार सुरक्षित

images_1618741725.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg