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मैं आसमान तक जाकर - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मैं आसमान तक जाकर

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मैं
लाल फूलों से लदे
पेड़ की डाल पर पड़े
झूले में झुलूं
पेंग बढ़ाकर
एक पंछी सी
आसमान के
बादलों के पर छू लूं
तुम आसमान से झड़ रहे
बादलों के पत्तों को
एक एक करके
अपनी झोली फैलाकर
उनमें समेटते रहना
तत्पश्चात् भर लेना
पेड़ की डालियों पर बने
टोकरी के आकार के अपने आशियाने में
मैं आसमान तक
जाकर
बस थोड़ी देर में
लौटकर आती हूं
तुम जमीन पर
खड़े खड़े
जो काम तुम्हें मैंने
सौंपे हैं
वह निपटा देना और
मेरा बेसब्री से
इंतजार करना।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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