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इक बेचारा - Narendra Singh (Sahitya Arpan)

कवितागजल

इक बेचारा

  • 134
  • 3 Min Read

हास्य प्रतियोगिता हेतु : हज़ल
बहारों ने मारा, नज़ारों ने मारा।
सावन की रिमझिम फुहारों ने मारा ।
पिटता ही रहा वो पिटने वाला,
बीबी ने उसकी बेलन से मारा ।
किसी की कमसिन अदाओं ने मारा ।
किसी की झूठी बफाओं ने मारा ।
पिलपिला हो गया पिटते - पिटते,
चिमटे से मारा, फुकने से मारा।
मुहब्बत के मीठे तरानों ने मारा।
हसीना के दर्जन बहानों ने मारा।
आहों - कराहों का हो गया आइना,
धन्नो के बाकी दीवानों ने मारा।
फूलों ने मारा झूलों ने मारा।
तितली के पंख सजीलों ने मारा।
जीने की चाहत में तिल - तिल मरा,
उसको उसी के उसूलों ने मारा।।
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली

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Meeta Joshi

Meeta Joshi 3 years ago

बहुत खूब

Narendra Singh3 years ago

हार्दिक आभार

Ajay Goyal

Ajay Goyal 3 years ago

वाह!

Narendra Singh3 years ago

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बेहतरीन 👌🏻

Narendra Singh3 years ago

जय हो। आपका आभार।

Narendra Singh

Narendra Singh 3 years ago

खुद पर हँसना बहुत मुश्किल होता है।

प्रपोजल
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