कवितागजल
हास्य प्रतियोगिता हेतु : हज़ल
बहारों ने मारा, नज़ारों ने मारा।
सावन की रिमझिम फुहारों ने मारा ।
पिटता ही रहा वो पिटने वाला,
बीबी ने उसकी बेलन से मारा ।
किसी की कमसिन अदाओं ने मारा ।
किसी की झूठी बफाओं ने मारा ।
पिलपिला हो गया पिटते - पिटते,
चिमटे से मारा, फुकने से मारा।
मुहब्बत के मीठे तरानों ने मारा।
हसीना के दर्जन बहानों ने मारा।
आहों - कराहों का हो गया आइना,
धन्नो के बाकी दीवानों ने मारा।
फूलों ने मारा झूलों ने मारा।
तितली के पंख सजीलों ने मारा।
जीने की चाहत में तिल - तिल मरा,
उसको उसी के उसूलों ने मारा।।
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली