कवितागीत
बेवफा हम नहीं
तू मेरा ना हुआ, मैं तेरी ना हुई।
एक मुकम्मल कहानी शुरू ना हुई।
खता क्या थी मेरी,
बताते तो तुम।
वादा भी करके
ना घर आये हो तुम।
हसरतों की कली ये जवां ना हुई।
तू मेरा......
तुम कह ना सके,
मैं सुन ना सकी।
बेवफा हम नहीं,
मेरा करना यकीं।
फूटी किस्मत हमारी हमारी ना हुई।
तू मेरा....
प्यार का सिलसिला,
ये अधूरा रहा,
दरिया सूखी रही,
समन्दर प्यासा रहा।
मेरी उलफत की बगिया हरी ना हुई।
तू मेरा ना.....
कभी तो मिलेंगे,
हम भी सनम।
चाहत में लेंगे,
जन्मों जनम।
मुहब्बत की अपनी रज़ा ना हुई।
तू मेरा ना हुआ मैं तेरी ना हुई ।।
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली
जी आपका ये गीत बहुत मार्मिक है कहानी में दर्शायी स्थिति कि तरह
हार्दिक आभार महोदया