Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
गिरकर ही संभलता है इंसान - Anil Dhawan Sirsa (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

गिरकर ही संभलता है इंसान

  • 243
  • 3 Min Read

#23 अगस्त
गिरकर ही संभलता है इंसान।।

जिंदगी मे बहुत सी मुश्किलें आती है,,
जो अपना दबाव हम पर बनाना चाहती है,,
हमे रोकती है, वो मुश्किलें कभी आगे बढ़ने से,,
तो कभी किसी के कदमों के नीचे ले आती है।।

हमे कुछ भी समझ नही आता,कि क्या
हो रहा है हमारे साथ, बस चाहते है कोई
आकर थाम ले हमारा हाथ,,
चारो ओर बस अंधेरा नजर आता है।।

हम गिरते है, तो कोशिश नही करते
दोबारा आगे बढ़ने की ,,लेकिन
हम गिरकर हौसला हार देंगे तो
कभी कामयाब नही होंगे।।

गिरकर ही जो उठता है इंसान
वही संभलता है इंसान
वही समझ पाता है जिन्दगी मे
ठोकरो की कीमत।।

अनिल धवन सिरसा
स्वरचित एवं मौलिक

inbound1696738658774401878_1598191697.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg