कविताअतुकांत कविता
मैं मरूँगा
मैं नहीं मरूँगा
किसी सड़क दुर्घटना में
नदी या तालाब में डूब कर !
मैं नहीं मरूँगा
किसी ज़हर के सेवन से
या नशे का आदि होने से !
मैं नहीं मरूँगा
पँखे से लटक कर
या किसी पेड़ पर झूल कर !
मैं नहीं मरूँगा
घरेलू कलह से व्यथित होकर
या अग्नि में झुलस कर !
देखना.....
एक दिन मैं मरूँगा
आत्मिक प्रियजन को स्मरण करके !
मैं मरूँगा
आत्मीय स्वजन के
न मिल पाने के दंश से
उनके बिसरा देने से.......!
☠️ #सन्दीपचौबारा ☠️
मौलिक एवं स्वरचित
07/04/2021
बहुत खूब जीवन का अटल सत्य है मृत्यु जो इसके भय को जीत लेता है वह सांसारिक मोह माया से मुक्त हो जाता है।
जी बिलकुल