कहानीबाल कहानी
" पहले गुस्सा फिर प्यार "
" आशु !!! हजार बार कहा है तुम्हें , जो सामान जहां से लेते हो वहीं वापस रखा करो । स्कूल का बैग अपनी जगह पर रखा करो, अपनी किताबें भी फैला रखी है तुमने , खिलौने इधर पड़े हैं । अभी तुम्हारी गाड़ी में फंसकर मैं गिर जाती । हे भगवान !! रूम की क्या हालत बना रखी है तुमने, इस बार बोलूँगी नहीं सीधे थप्पड़ ही मारूँगी तुम्हें , समझे ! एक तो घर में इतना काम है आज ऊपर से इस लड़के ने दिमाग खराब कर दिया है । " मैं खुद में बड़बड़ाती हुई रूम ठीक करने लगी ।
थोड़ी देर बाद जब सारा काम खत्म करके बैठी , दिमाग थोड़ा शांत हुआ तो याद आया कि आशु तो कमरे से बाहर ही नहीं निकला काफी देर से । कमरे में जाकर देखा तो वो अभी तक मुंह फुला कर बैठा है , उसका गुब्बारे जैसा फूला हुआ मुँह देखकर मुझे हंसी भी आई और मेरी ममता उमड़ पड़ी । पास जाकर उसे गले लगाकर उसके गालों पर ढेर सारे चुंबन दे दिए । मुझे दूर करते हुए आशु बनावटी गुस्से से बोला , " मम्मा !! मैं आपसे बात नहीं कर रहा , आपका ये रोज-रोज का है ना पहले गुस्सा करना और फिर प्यार करना ।"
" अरे मेरे लाड़ले मैं क्या करूं जब काम ज्यादा होता है ना तो मैं थक जाती हूं फिर गुस्सा आ जाता है और ऊपर से तुम मेरा काम बढ़ा देते हो तब गुस्सा और ज्यादा जाता है । लेकिन प्यार भी तो तुमसे उतना ही करती हूँ ना ।" उसे वापस अपनी तरफ खींचते हुए कहा ।
" अच्छा मम्मा ! अगर मैं अपना सारा सामान उनकी जगह वापस रखूँ , तब तो आप मुझसे नाराज नहीं होंगे ना । "
" हां राजे ! पता है हमें अपने सामान को हमेशा व्यवस्थित रखना चाहिए । उससे वह हमारा साथ लंबे समय तक देते हैं , हमें हमेशा अपनी चीजों का ख्याल रखना चाहिए नहीं तो वे जल्दी ही खराब हो जातीं हैं । "
" आशु ! तुम्हारी मम्मी ऐसी ही है पहले गुस्सा करती हैं फिर प्यार करती है ।" पतिदेव ने आँख मारते हुए कहा । और हम तीनों खिलखिला कर हँस पड़े ।
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अनामिका प्रवीन शर्मा
मुंबई