कविताअतुकांत कविता
बचपन से लेकर
यौवन तक
यौवन से लेकर
उम्र के आखिरी पड़ाव तक की यात्रा
तेरे साथ
यह सानिध्य बना रहे
यह रिश्ता यूं ही चलता रहे
यह मन का बंधन
एक दूसरे के मन से
ऐसे ही बंधा रहे
पेड़ के तने की डाली पे
झूलते
सूखते हुए दो पत्ते हम
जमीन पर टूटकर गिरें तो
काश एक साथ गिरें हम
जब तक संग जियें
एक दूसरे के हाथ में हाथ
डाले
हौले हौले कदम बढ़ाते
एक दूसरे को सहारा देते
जीवन के रास्ते पर चलें हम।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001