Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
सूखते हुए दो पत्ते हम - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

सूखते हुए दो पत्ते हम

  • 288
  • 3 Min Read

बचपन से लेकर
यौवन तक
यौवन से लेकर
उम्र के आखिरी पड़ाव तक की यात्रा
तेरे साथ
यह सानिध्य बना रहे
यह रिश्ता यूं ही चलता रहे
यह मन का बंधन
एक दूसरे के मन से
ऐसे ही बंधा रहे
पेड़ के तने की डाली पे
झूलते
सूखते हुए दो पत्ते हम
जमीन पर टूटकर गिरें तो
काश एक साथ गिरें हम
जब तक संग जियें
एक दूसरे के हाथ में हाथ
डाले
हौले हौले कदम बढ़ाते
एक दूसरे को सहारा देते
जीवन के रास्ते पर चलें हम।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

FB_IMG_1616610036684_1616739830.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg