कविताअतुकांत कविता
तुम मेरे
रेशम से एक ख्वाब हो
रेशम सी भोर में
रेशम सी दिल की
हिलोर में
रेशम का एक ख्वाब
बुनु मैं
रेशम की डोर
रेशम की अंगुली में थामे
रेशम के धागों को
अपनी ओर खींचू मैं
इंतजार करूं मैं
पल पल तेरी राह तकु मैं
आओगे रेशम के रास्तों पर
चलकर
सुबह शाम बस
ऐसे ही रेशम के रेशमी ख्यालों के
जाल बुनु मैं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001