Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ऐ फूल - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ऐ फूल

  • 222
  • 5 Min Read

ऐ फूल
तुम खिलते हो
फिर मुर्झा जाते हो
यह तुम्हारी इतनी छोटी सी
जीवन यात्रा
पानी के एक बुलबुले सी
सच कहूं तो
मुझे तो पसंद नहीं आती
लोग भी न जाने कितने
बेरहम हैं
तुम्हें तोड़ लेते हैं
तुम्हारे पेड़ की शाख से
अपनी मेज पर सजे गुलदस्ते
में लगाने के लिए
कभी अपनी किताबों की
कब्र में तुम्हें दफन कर
देते हैं
तुम तब भी लहलहाते रहते हो
बेशक चाहे गिरते हुए
तुम तब भी अपनी
खुशबू बिखराते रहते हो
बिना एक भी पल गमगीन हुए
तुम सदैव मुस्कराते ही
रहते हो
आखिर किस मिट्टी के बने हो
तुम
कैसे सीखूं मैं तुमसे जीना
अपना रूप बदल लेते हो
रंग बदल लेते हो पर
अपने अस्तित्व को तुम मर
जाने के बाद
लुट जाने के बाद
बर्बाद हो जाने के बाद भी
मिटने नहीं देते
उग आते हो
फिर डाल की कोख से
एक नन्ही कली बनकर तुम
अपनी जड़ों को
अपनी परम्पराओं को तुम
यूं ही बेबात तो
तबाह होने नहीं देते।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

FB_IMG_1616034397135_1616137351.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg