कवितागीत
दर दर भटका प्यार में तेरे
कितना दर्द सहा है जाना
उसपर तेरा ऐसे आना
नज़रे मिला के पलके झुकाना
शर्माकर यूं प्यार जताना
कर गया मुझको दीवाना
कर गया मुझको दीवाना
काली बदरिया सी कजरारी आंखे
उसपर तेरी मीठी बातें
झुकी हुई पलकों से तेरा
यूं इजहार ए मोहब्बत करना
कर गया मुझको दीवाना
कर गया मुझको दीवाना
उम्मीद में तेरी जीने लगा मैं
गम के आंसू पीने लगा मैं
आएगी तू इक दिन मेरे अंगना
खनकेंगे हरदम तेरे कंगना
महकेगी मेंहदी चमकेगी बिंदिया
और तेरा सिंगार करना
कर गया मुझको दीवाना
कर गया मुझको दीवाना
छनके जब तेरी पैजनिया
झूमे मेरा घर और अंगना
तेरी ये मुस्काती सूरत
लगती जैसे संग की मूरत
उसपर तेरा यूं इठलाना
कर गया मुझको दीवाना
कर गया मुझको दीवाना
चलकर मेरे घर है आना
ऐसे मुझको छोड़ ना जाना
बिछुरन तेरा तोड़ देगा
जीना दूभर हो जाएगा
सांसों का चलना रुक जाएगा
मार जाएगा ये दीवाना
मार जाएगा ये दीवाना
#सीता तिवारी
वाह वाह वाह बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
आपका बड़प्पन है सर