कवितागीत
अधूरी कहानी : भाग तीन
गीत : मैं पुकारुँ तुझे
ओ मेरे हमसफर, संग तेरे ये सफर।
चलता-फिरता रहे, लम्हा - लम्हा सफर।
मैं पुकारुँ तुझे, तू संभाले मुझे।
कभी रूँठू अगर, तू मना ले मुझे।
मैं सँवारुँ तुझे, तू सँवारे मुझे।
ये सुहाना सफर, सुन मेरे हमसफर!
चलता-फिरता रहे.....
तेरा - मेरा न कुछ, सब हमारा बने।
पलकों में मेरी, स्वप्न तुम्हारा बने ।
आइने में अक्स, साझा औ सकारा बने।
प्यार का सिलसिला, ओ मेरे हमसफर!
चलता-फिरता रहे...
हँसते-हँसते मिले, वक्त की चांदनी।
तेरी रुह में खिले, मेरी हर रोशनी।
मैं दीवाना तेरा, तू मेरी मोरनी।
ये अदा ये हया , तेरी कातिल नज़र ।
चलता-फिरता रहे....
नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आपका हृदयतल से आभार