Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
सपने अपने अपने - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कहानीलघुकथा

सपने अपने अपने

  • 136
  • 5 Min Read

*सपने,,,अपने अपने*

बीबी दीना व बेटे व बेटी का कारवाँ ऊँटगाड़ी पर सवार है। दरबार पशुमेले में ऊँटनी के बच्चे का सौदा कर कच्ची टपरिया को रहने लायक बनाना चाहता है।
"अच्छा तुम लोग रोटी भाजी खाओ, मैं पानी लाता हूँ। " बच्चे रोटी कुतरते कार जाती देख पूछते हैं, " माँ माँ, क्या यही मोटरगाड़ी है। "
माँ लंबी साँस खींच बोली," हाँ रे, दादा ने तुम्हारे बापू को शहर से बुलाया न होता तो तुम भी इसकी सवारी कर सकते थे। वहाँ बापू डिरावरी करता था। "
तभी दरबार पानी देते कहता है, " अरे क्यों बता रही है इनको। "
मालिक के परिवार की बातें सुन ऊँटनी का बच्चा रोते हुए कहता है, "माँ, ये मालिक ख़ुद तो बाप के लिए शहर छोड़ आया और मुझे तेरे से दूर कर रहा है। "
ऊँटनी, दिलासा देती है, " बेटा, हम जानवरों के बारे में कौन सोचता है। तू फ़िक्र ना कर। मैं भी किसी तरह भाग कर आ जाऊँगी। फ़िर हम दोनों जंगल पहुँच मंगल मनाएँगे। "
तभी मालिक ने चाबुक चला गाड़ी बढ़ाई।
बच्चे माँ से बतियाने लगे, " माँ, आज तो हमारा छोटू ऊँट भी हमसे जुदा हो जाएगा। पर जब में बड़ा होकर डिरावर बनूँ तो मुझे वापस मत बुलाना।
सरला

logo.jpeg
user-image
Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मर्मस्पर्शी

दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG