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अभिनंदन - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

अभिनंदन

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  • 4 Min Read

यह घर का दरवाजा
खुलेगा
थोड़ी प्रतीक्षा करो
खुलेगा
रात को देर से सोया है
लगता है
सुबह देर तक सो रहा है
किसी अंजानी डगर पर
सपनों की दुनिया में
खोया है
घर लौटकर आने में कुछ समय तो
अवश्य लगेगा
भोर जैसे होती है
रात्रि के विश्राम के बाद
वैसे ही इसे सूरज की भांति
प्रकट होने के लिए
अभी थोड़ा सा समय लगेगा
उठ जायेगा जब
दरवाजा भी घर का खुल
जायेगा तब
अभिनंदन करेगा
बाहें फैलाकर फिर
किरणों की परियों का
अपने हिस्से की रोशनी भी वह
कर देगा उनपर निछावर
जो बचाकर रखी थी उसने
अपनी झोली में
पिछले ख्वाब की
चांद रात में।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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