कवितागीत
खता
हमसे क्या ख़ता हुई कि
सारी कायनात हुई हमसे ख़फ़ा
जब भी कोई प्यारा लगा दिल को मेरे
दुनिया को क्यों नागवारा हुआ
हमसे क्या ख़ता हुई कि......
नायिका :
क्या पता था कि इक़रार ही
बिछुड़न की सज़ा बन जायेगा
तुझसे मिलने की जुस्तजू ही मेरा रक़ीब बन जायेगा
कितना संभाला सहेजा इस प्यार को
फिर भी न जाने क्यों
हो गई हमसे रुसवाई
क्या पता था कि मेरी वफ़ा ही
मेरी बेवफ़ाई बन जायेगा
हमसे क्या ख़ता हुई कि
सारी कायनात हुई हमसे खफ़ा
नायक :
ये आसमान , ये बादल ,ये रास्ते , ये महफ़िलें
तन्हा तन्हा से क्यों लग रहे हैं आज मुझे
मेरे दर्द में हर कोई आज ग़मगीन से लग रहे हैं मुझे
ये बारिश भी देखो मेरे आँसुओं से भीग सी रही है
ज़रा सी ख़ुशी माँगी थी
ज़रा सी हँसी माँगी थी
ए ख़ुदा मेरे
हिस्से में मेरे दर्द-ओ-ग़म के आशियाने बख्शें हैं मुझे
हमसे क्या ख़ता हुई कि
सारी कायनात हुई हमसे ख़फ़ा
नायक+ नायिका :
जाने किस मोड़ पर ये प्यार हमें ले जायेगा
यहाँ से वहाँ तलक मंज़िल आती नहीं नज़र
दो कदम चलने के बाद क्यों जुदा हो गए हम
ऐसी भी क्या ख़ता हुई हमसे
कि सारी कायनात हुई ख़ता हमसे
जब भी कोई प्यारा लगा दिल को मेरे
दुनिया को क्यों नागवारा हुआ....
©®
Anamika pravin sharma
Mumbai