कविताअतुकांत कविता
क्या लिखूं
अपने दिल की दास्तान
एक दर्द का दरिया है
जिन्दगी सामने खड़ी है
थकती नहीं
लेती रहती है रोज
एक नया इम्तिहान
मैं तो रात के आकाश में
जागता एक चांद हूं
दर्द समेटे हैं सितारों के
छलका दूं तो बह जायेगा
जमीन पर एक शोलों का दरिया
शबनम की चांदनी को
इसीलिये हम ख्वाबों में
रात भर जगाये बैठे हैं
खत्म हो जायेगी
मेरे लहू की स्याही
यह जिन्दगी की कहानी
खत्म न होगी
सो जाते हैं
बहुत रात हो गई
सुबह होगी तो
बाटेंगे फिर कुछ किस्से कहानियां
रात के ख्वाबों के
टिमटिमाती सितारों सी यादों के
करेंगे फिर कुछ नये वादे
ऐ जिन्दगी तुझसे
तुम आगे अगर इन्हें
स्वेच्छा से निभाओ तो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001