कविताअतुकांत कविता
आज का दिन
यह पल जीवन का
सफेद गुलाबों सा
महकता रहे
आज मुझे कोई रंग न
दिखे
कोई समय की गति न
दिखे
सब कुछ स्थिर दिखे
ठहरा दिखे
खामोश दिखे
बिना रंग
बिना स्वाद का
दिखे
एक शीतल हवा की
फुहार को
बस मैं महसूस कर सकूं
आज मुझे बस
ख्यालों की आंधी का
पूर्ण विराम चाहिए
दिल को,
मस्तिष्क को
थोड़ा विश्राम चाहिए
आसमान के सफेद
बादलों की तरह
बस चारों तरफ
सफेद गुलाब के फूलों
का दीदार चाहिए
उनकी भीनी भीनी
सुगन्ध का स्पर्श
चाहिए
मेरे दिल को भेदता
किसी भी तरह की
तकलीफ पहुंचाता
एक भी कांटा साथ में
इनके नहीं चाहिए।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001