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कविताअन्य
सियासत.... ये जो एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं सियासत है, मुद्दे से ध्यान भटकाते हैं। इनके कहे पर भरोसा न कर लेना कभी अमीरी का ख्याब दिखा, गरीबों को हटाते हैं। पांच बरस पहले आए थे एक दिन बस्ती वाले आज भी नींद में डर जाते हैं। अजय मौर्य ‘बाबू’