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सियासत.... - अजय मौर्य ‘बाबू’ (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

सियासत....

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सियासत....

ये जो एक-दूसरे पर आरोप लगाते हैं
सियासत है, मुद्दे से ध्यान भटकाते हैं।

इनके कहे पर भरोसा न कर लेना कभी
अमीरी का ख्याब दिखा, गरीबों को हटाते हैं।

पांच बरस पहले आए थे एक दिन
बस्ती वाले आज भी नींद में डर जाते हैं।
अजय मौर्य ‘बाबू’

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