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मदारी कौन (लघुकथा) - Gautam Jain (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

मदारी कौन (लघुकथा)

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( मदारी कौन ) लघुकथा
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अभी टेलीविजन आन किया ही था की हेडलाइन पर निगाह पडी ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी उस दुर्दांत हत्यारे को पुलिस ने इनकाउंटर में मार गिराया। जिसकी पुलिस हफ्ते भर से तलाश कर रही थी ।
आज उसे गिरफ्तार कर लाते समय अचानक उसने पुलिस पर हमला कर दिया और भागने की कोशिश की । पुलिस पर गोलियां चलाई जवाबी कार्यवाही में पुलिस की गोलियों से मारा गया ।
बचपन में देखा हुआ मदारी का तमाशा जेहन में कौंध गया । बचपन में राह चलते मदारी का तमाशा तो आपने भी कई बार देखा होगा ।
मदारी अपना डमरू बजा बजा कर भीड़ इकट्ठी करता था और अपनी बातों के सम्मोहन
और अपनी चालाकी से पब्लिक को बेवकूफ बना या करता था ।
और उनमें से एक होता था सांप और नेवले की लड़ाई । सांप भी उसका पालतू होता था और नेवला भी । जब तक मदारी चाहता उन्हें दूर रखता और जब चाहता सांप को पिटारे से निकाल नेवले को सांप से लड़ा देता । कुछ देर तमाशा दिखाकर पुनः उन्हें अपनी अपनी जगह पर भेज लड़ाई रुकवा देता ।
इधर सांप भी फुफकारते हुए अपना क्रोध पिटारे पर उतारता और नेवला भी तमतमाते हुए पिंजरे में चक्कर लगाने लगता । मगर मदारी की मर्जी के बगैर कहां कुछ हो सकता था ।
बचपन में तो सब जादू ही लगता था । मगर आज समझ आया की सांप कौन ? नेवला कौन ?? और मदारी कौन ???
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© गौतम जैन ®
हैदराबाद

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