कहानीलघुकथा
दरकते रिश्ते
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नीला को ये दीमक वाला ट्रीटमेंट परेशान करता था । इसकी दवा से उसे बहुत एलर्जी थी पर क्या करे दीमक जब घर में कहीं लग जाती है तो ट्रीटमेंट जरूरी है नहीं तो वह सब लकड़ी को खोखला कर देती है।
दीमक ही क्या रिश्तों में भी दीमक लग जाये तो वह भी खोखले हो जाते हैं। रवि और उसके रिश्तों में भी धीरे धीरे दीमक लग रही थी । नीला कितना भी सुलझाने की कोशिश करती जिन्दगी उलझती जा रही थी । जिन्दगी में केवल पैसा ही सुख नहीं देता एक प्यार भरा शब्द भी असीमित सुख देता है। नीला बहुत सुन्दर थी पर परिवार बहुत ही मध्यम श्रेणी का था । जैसे जैसे वह बड़ी हो रही थी मां बापू भी चिन्तित हो रहे थे । नीला होनहार लड़की थी । वह पढ लिख कर कुछ करना चाहती थी ।
रवि एक धनी परिवार से था । बहुत बड़ा व्यापार रीयल स्टेट का मालिक । बहुत लड़कियां उसकी जिन्दगी में आई पर उसने अपनी इच्छा अपने मांबाप को बता दी कि वह एक पारिवारिक लड़की से ही शादी करेगा । अचानक नीला के कालिज के समारोह में रवि मुख्य अतिथि था । नीला प्रोग्राम को संचालित कर रही थी । बस रवि उस पर मोहित हो गया । जब उसका सदेंश नीला और उसके मां बापू को मिला तब वह संशय में हो गये पर बहुत विचार करके नीला को राजी करके उन्होंने हां कर दी । शादी होने के बाद नीला उस घर में आगयी । उसके सास ससुर में पैसे का अहम था । रवि भी इस चीज से अछूता नहीं था पर नीला बहुत समझदार थी । वह हर तरह से सबको निभा रही थी । रवि को बस पैसा कमाने और अपनी पार्टियों से फुर्सत नहीं थी । देखते देखते वह दो जुड़वां बच्चों की मां बन गयी । कुछ दिन से वह महसूस कर रही थी कि पहले भी वह केवल रवि की पत्नी थी । शायद उसकी कोई तमन्ना और इच्छा नहीं थी बस सात फेरे लेकर धर्म निभाना था । कभी रवि ने उससे यह नहीं पूछा कि वह भी अपने सपनों के साथ जीना चाहती है पर आज जब उसने रवि की गाड़ी में उसकी असिस्टेंट को रवि और उसको गले में हाथ डाल कर हँसते देखा वह तिलमिला गयी क्योंकि रवि कभी उसको ऐसे नहीं हंसा । एक गम्भीर मुखौटा चढ़ा रहता था ।
दीमक ट्रीटमेंट करने वाले की आवाज आई मैडम काम खत्म हो गया । तीन महीने बाद फिर कराइये लगातार दवा से ही जड़ से खत्म होगी । बस आज उसने सोच लिया कि रिश्तों में दीमक नहीं लगने देगी इसका ट्रीटमेंट जरूरी है उसके और उसके बच्चों के लिये । आज उसने घर में घोषणा कर दी कि वह पढ़ी लिखी है । कल से वह भी आफिस में बैठना शुरू करेगी जिससे रवि का काम हल्का हो । रवि अचम्भित था उसके निर्णय से । नीला दृढ़ निश्चय कर चुकी थी कि रिश्तों को दरकने नही देगी ।
स्व रचित
डा.मधु आंधीवाल