कहानीसामाजिकप्रेरणादायक
दादी की परी ------
---------------आज दिन बहुत उदास था । तोषी के प्रसव का समय नजदीक आरहा था ।एक भय मन में समाया था कि सही तरीके से प्रसव निपट जाये । एक अजीब सा डर मन में बैठ गया था । तोषी उसकी इकलौती बहू थी ।जब उसको लेकर आई तब ही उसने कह दिया था ,बेटा तुम मेरी बहू नहीं बेटी हो बेटियाँ अपनी गृहस्थी देख रही हैं। तुम मेरे घर को जो आज से तुम्हारा है देखोगी ।
जब से तोषी गर्भवती हुई लगातार समाचार पत्रों में बच्चियों के साथ लगातार बलात्कार की घटनाओं के समाचार पढती थी उससे बह परेशान हो जाती थी ।मै उसे हमेशा कहती नकारात्मक विचार क्यों सोचती हो ।
कल जैसे ही समाचार पढ़ा बहुत दर्दनाक घटना का सामना हुआ मन्दसौर में आठ साल की बच्ची से बलात्कार उसकी स्थिती देखकर डा.भी विचलित ।आठ साल की बच्ची जिसको कुछ पता नहीं राक्षसों ने उसके नाजुक अंगो को क्षत विक्षत कर दिये । मेरी रुह कांप गयी सोच रही थी तोषी के हाथ अखवार ना आये ,पर उसने जैसे ही टी.वी चलाया हर चैनल पर यही खबर थी।
तोषी के लेबर पेन शुरू होगये बह बहुत घबड़ा रही थी बार बार एक ही शब्द बोल रही थी मां लडकी नहीं होनी चाहिए यदि उसके साथ ऐसा हुआ तो । मैने और डा.दोनों ने उसे बहुत प्यार से समझाया तुम भी तो लड़की हो । दो घण्टे बाद एक बहुत प्यारी नन्ही गुड़िया आ चुकी थी । बेटा भी तोषी को समझा रहा था । मैने जाकर कहा तोषी ये दादी की परी है। इसको कुछ नहीं होने दूगी इसको इतना निडर बनाऊगी कि कोई राक्षस इसे छू नहीं पायेगा ।
स्वरचित --
डा.मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़ उ.प्र