कहानीलघुकथा
सौतेली मां ****
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आज मीरा अपने आंसूओ को बार बार साड़ी के पल्लू से पोंछ रही थी । आज उसकी दोनों बेटियाँ एक साथ विदा हो रही थी हां वही बेटियाँ जिनको सब परिवार वालों ने उससे अलग करना चाहा था क्योंकि बह सौतेली माँ थी
रानू और शानू दोनों भागती आई और मीरा से लिपट गयी । दोनों रोने लगी मां आपको छोड़ कर नहीं जायेगे । आप कैसे रहोगी अकेली पापा के जाने के बाद आप ही ने हमारा सब कुछ देखा है। मां बाहर चाची और बुआ कह रही हैं कि चलो लड़कियों को सौतेली मां से छुटकारा मिला ।
मीरा कुछ बोल ही नहीं पा रही थी जब इस घर में आई रानू और शानू 2 और 4 साल की थी । उस समय भी सौतेली मां कह कर बहुत कौशिश की दोनों को अलग करने की पर रवि का साथ और मीरा का दृढ़ निश्चय दोनों ने प्रण किया शहर में रहकर बेटियों को पालना है और इसके साथ ही मीरा ने रवि से कठोरता से कह दिया कि मैं और बच्चे को जन्म नहीं दूंगी । मीरा दोनों बच्चियों को अपनी जान से भी अधिक प्यार करती थी बच्चियां भी उसको बहुत प्यार करती थी । परिवार वालों ने बच्चियों को भटकाने की बहुत कोशिश की पर वह सफल नहीं हो पाये । भाग्य की विडम्बना देखो रवि को अचानक हृदयाघात होगया और वह दुनिया से ही विदा होगया ।मीरा अन्दर टूट गयी पर हिम्मत नहीं हारी शिक्षित थी रवि की जगह उसे नौकरी मिल गयी । रानू और शानू दोनों को उच्च शिक्षा दिला कर उनका भविष्य सुरक्षित कर दिया था । आज जब एक खुशी का माहौल था रवि का ना होना वैसे ही विचलित कर रहा था वह हिम्मत करके सब काम कर रही थी सोच भी रही थी कैसे रह पायेगी ।
पर आज भी परिवार वाले चुप नहीं थे आज भी वह इन बच्चियों के लिये जिन्दा है पर " सौतेली माँ " शब्द से उसका पीछा नहीं छूट रहा ।
स्व रचित ####
डा. मधु आंधीवाल एड.
अलीगढ़