कवितागीत
#शीर्षक
मन फगुआ ...
सखी री फिर आज आया वसंत
आकुल सा व्याकुल सा कुछ
छहर-छहर बौराया सा
गुन-गुन गुंजित भ्रमर गीत
चली बहकी-बहकी मनभाई
हवा वसंती बौराई ...
भोर की सुंदरी शरमाई
सुना है जब से फागुन की धुन
कोयलिया गाए कुहू-कुहू
फिर फूली पीली-पीली सरसों
कुछ याद आ गई भूली बतियां
सखी री फिर लहराई मैंने चुनरी
गदराया यौवन बौराया सा मन
खेलूगीं रंग संग अपने पिया की
आए दिन दुख बिसराने के...💐💐
स्वरचित / सीमा वर्मा
पटना