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मन फगुआ - सीमा वर्मा (Sahitya Arpan)

कवितागीत

मन फगुआ

  • 248
  • 3 Min Read

#शीर्षक
मन फगुआ ...
सखी री फिर आज आया वसंत
आकुल सा व्याकुल सा कुछ
छहर-छहर बौराया सा
गुन-गुन गुंजित भ्रमर गीत
चली बहकी-बहकी मनभाई
हवा वसंती बौराई ...
भोर की सुंदरी शरमाई
सुना है जब से फागुन की धुन
कोयलिया गाए कुहू-कुहू
फिर फूली पीली-पीली सरसों
कुछ याद आ गई भूली बतियां
सखी री फिर लहराई मैंने चुनरी
गदराया यौवन बौराया सा मन
खेलूगीं रंग संग अपने पिया की
आए दिन दुख बिसराने के...💐💐

स्वरचित / सीमा वर्मा
पटना

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Anjani Kumar

Anjani Kumar 3 years ago

बहुत खूब

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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