कवितागीत
मधुर मधुर तेरी ये बोली
बात में जैसे मिश्री घोली
सुनते तेरी बातें जैसे
लगता है कोयलिया बोली
मधुर मधुर तेरी ये बोली
बात में जैसे मिश्री घोली
बातें तेरी दीवाना करती
प्रेम भाव मेरे मन में भरती
उठती प्रेमतरंग है मन में
जग से ये बेगाना करती
मधुर मधुर तेरी ये बोली
बात में जैसे मिश्री घोली
सुनते तेरी बातें जैसे
लगता है कोयलिया बोली
मैं भी जानू तू भी जाने
मैं भी मानू तू भी माने
प्यार है तेरे मेरे भीतर
फिर भी तू क्यों न पहचाने
ऐसे यूं बनकर अनजाने
कहलाएंगे प्रेम दीवाने
तेरा मेरा मौन एक दिन
तेरा मेरा मौन एक दिन
बिखरेगा टूटकर
तुझको मुझको दुनिया को भी
यकीन हो जायेगा
दुनिया के हर कोने में
तेरी मेरी होगी बोली
सुनते तेरी बातें जैसे
लगता है कोयलिया बोली