Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
नारी पूर्ण है - Champa Yadav (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

नारी पूर्ण है

  • 401
  • 4 Min Read

महादेव के नज़रों से🙏

तू नारी है अपने में पूर्ण है
कर्मठता है तुझमें!
कोमल है चट्टान है
दुर्गा, काली, चंडी है

रोज नहीं रचनाएँ गढ़ती है
अपने को परखती है....
समाज के बनाए हुए
वसूलों पर....
पिसती है फिर भी
खड़ी रहती है
चट्टान की तरह....

नदियों की धारा की तरह
बहते हुए.... करती है
उद्धार सभी का।
नहीं रोक पाएगा कोई तुझे!
जब तू बन जाएगी,
सैलाब की तरह.....

"तू नारी है अपने मे पूर्ण है"

खड़ी कर ले चाहे,
जितने भी दीवारें...
ध्वस्त हो जाएगी सारी।
बन के उजाला अँधेरों को
मिटाती है तू.....

तप कर लोहे की तरह
जब बन जाएगी त्रिशूल!
कर देगी संहार,
सभी राक्षसो का.....

तू नारी है अपने में पूर्ण है
कर्मठता है तुझमें!
कोमल है चट्टान है
दुर्गा, काली, चंडी है.....

✍️चम्पा यादव

Screenshot_20210303-115230~2_1615234423.png
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg