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रूह आसमान में रहती है - Naresh Gurjar (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

रूह आसमान में रहती है

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कुछ भी तो नहीं आदमी के बस में
फिर क्यूं ये जात गुमान में रहती है

बैठिये कुछ बात कीजिये सुकून से
जिंदगी हमेशा इम्तिहान में रहती है

लड़ाई झगड़ा जमीन जायदाद की बातें
यही सोच इंसान के बाद इंसान में रहती है

रूकता तो होगा जीने मरने का सिलसिला
हर वक़्त कहाँ ज्वाला शमशान में रहती है

चंद रोज ही किराये के मकान में रहती है
उसके बाद रूह आसमान में रहती है

~~ नरेश बोकण गुर्जर ~~
हिसार हरियाणा

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