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नारी की महत्ता - पं. संजीव शुक्ल 'सचिन' (Sahitya Arpan)

कवितादोहा

नारी की महत्ता

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नारी दिवस की आप सभी को ढेरो शुभकामनाएं
विधा - दोहे
___________________________________
रचना - 👇👇👇

नारी की आराधना,
करता जग हरबार।
माता विद्यावाहिनी,
नमन करो स्वीकार।।१।।

नारी से घर स्वर्ग है,
नारी जग विस्तार।
नारी ममता रूप है,
स्वयं ईश अवतार।।२।।

नारी है नारायणी,
नारी जग का मूल।
सीता काली चण्डिका,
समझ न इसको धूल।।३।।

शक्ति रूप तू चण्डिका,
अष्टभुजा का रूप।
सुख दुख की संचालिका,
महिमा अजब अनूप।।४।।

असुर रक्त से कालिके,
किया कभी अभिषेक।
नारी वैभवदायिनी,
तेरे रूप अनेक।।५।।

✍️पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'

घोषणा-- यह रचना पूर्णतः स्वयं रचित है , अप्रकाशित है।
[पं.संजीव शुक्ल 'सचिन']

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