Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
खेल खेल में - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

खेल खेल में

  • 198
  • 3 Min Read

मैं स्वतंत्र होना
चाहती हूं
दूसरे को जाल में
फंसाकर
उसकी जान लेकर
अपना जीवन सुधारना
चाहती हूं
दूसरे का जीवन लेकर
उसे मौत की गहरी नींद
सुलाकर
उसका जीवन छीनकर
उसे मौत देकर
यह तालाब के किनारे
जाकर
मछली पकड़ना कोई खेल
नहीं
नाव में बैठकर
पानी में सैर करना
मनोरंजन हो सकता है पर
खेल खेल में
किसी को सताना
किसी की जान लेना
यह कोई परिपक्वता नहीं
इंसानियत का परिचय नहीं
कोई प्रशंसनीय कार्य नहीं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

FB_IMG_1615178667788_1615179989.jpg
user-image
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg