कविताअतुकांत कविता
मैं स्वतंत्र होना
चाहती हूं
दूसरे को जाल में
फंसाकर
उसकी जान लेकर
अपना जीवन सुधारना
चाहती हूं
दूसरे का जीवन लेकर
उसे मौत की गहरी नींद
सुलाकर
उसका जीवन छीनकर
उसे मौत देकर
यह तालाब के किनारे
जाकर
मछली पकड़ना कोई खेल
नहीं
नाव में बैठकर
पानी में सैर करना
मनोरंजन हो सकता है पर
खेल खेल में
किसी को सताना
किसी की जान लेना
यह कोई परिपक्वता नहीं
इंसानियत का परिचय नहीं
कोई प्रशंसनीय कार्य नहीं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001