कविताअतुकांत कविता
जहर सी जिन्दगी
पीते रहो
अमृत की एक धार
समझ कर
मोहब्बत करते रहो फिर
मोहब्बत से भरे दिल को
कभी भूले से भी
मोहब्बत न करने की
कसम दिलाते रहो
फिर आदत से
बाज न आओ
दिल से सच्ची मोहब्बत
करते रहो और
सबसे एक दुश्मन की
तरह
मार खाते रहो।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001