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भ्रमर मन - विमल शर्मा 'विमल' (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

भ्रमर मन

  • 178
  • 1 Min Read

अमात्रिक लेखन का एक प्रयास...

उलझत नयन
हरषत बदन
बहकत सजन
यह भ्रमर मन।

बरसत गगन
चहकत पवन
तरसत सजन
यह भ्रमर मन।

महकत चमन
करत मगन
मचलत सजन
यह भ्रमर मन।

- ©विमल शर्मा'विमल'

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब नीचे वाली तस्वीर रचना से सम्बंधित तस्वीर लगा लीजिये।

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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