कहानीअन्य
एक सड़क हादसे में सरपंच जी के शरीर का निचला हिस्सा बेकार हो गया और पत्नी व इकलौता बेटा काल का ग्रास बन गये।
अब नाते-रिश्तेदार उनके स्वघोषित उत्तराधिकारी बने फिर रहे थे। पत्ते खेलते हुये आज सरपंच जी चचेरे भाई की मंशा भी जान गये थे।
"भाई साहब, तो क्या सोचा आपने..!! मुझे लगता है चुनाव में विरेन्द्र को मौका मिलना चाहिये। गाँव वाले उसमें शिवम की झलक देखते हैं।"
" तेरा बेटा पढ़ा लिखा और गुंडागर्दी से दूर होता तो मैं कुछ सोचता लेकिन गाँव को पढ़ा-लिखा सरपंच चाहिये इसीलिये दीप्ति सरपंच पद की उम्मीदवार होगी।"
"एक औरत...और सरपंच..? ये तो जोकर पर दाँव लगाना हुआ, नाक कट जायेगी देख लेना आप" कुटिलता से शमशेर बोला।
"ताश का जोकर भी कई दफ़ा बाजी पलट देता है शमशेर! मेरी बहू शिक्षित है और मेरी असली उत्तराधिकारी.." सरपंच जी ने अपना अटल फैसला सुना दिया।
निधि घर्ती भंडारी
हरिद्वार उत्तराखंड