कवितागीत
दिल के जज्बात
नायक :
गुंजन करतीं तुम भंवरे सी , मन की बगिया महकी महकी ।
कोयल जैसी कूक तुम्हारी, इन कानों में चहकी चहकी ।
मेरे जीवन में आ जाओ , नेह के धागे जुड़ जाएं अब ।
गुंजित कर दो घर - आंगन, सपने पूरे हो जाए अब ।
नायिका :
जब से आए तुम जीवन में , सोचे तुमको हर पल ये मन ।
नीरव सा ये मन मेरा , बन गया है अब प्यारा मधुवन ।
जब देखूं खुद को दर्पण में , अक्स तुम्हारा दिखता है ।
बात न तुमसे जिस दिन हो, दिल खोया सा लगता है ।
संयुक्त :
फोन पे कब तक बातें होंगीं , जल्दी मिलन की राह निकालो।
हम दोनों जल्दी मिल जाएं , ऐसी कोई जुगत भिड़ा लो ।
बिन देरी के हम जल्दी ही , घरवालों को बतलाएंगे।
इक दूजे के बिना रहें ना , परिणय बंधन में बंध जाएँगे ।
मौलिक एवम् स्वरचित
सरिता गुप्ता