कवितागीत
*हलचल*
तुम प्रेम हो मेरा गीत हो,
मेरे होठों की सरगम हो तुम।
मेरे मन की चाहत तुम ही हो ,
मेरे दिल की धड़कन भी हो तुम।
हल्की सी आहट भी तुम हो,
हर धड़कन का जवाब हो तुम ।
इस दिल की खुशी भी तुम हो ,
मुस्कुराहट भी तुम ही हो ।
गीत और गजल भी तुम हो ,
सुर संगीत भी तुम ही तो हो ।
मोहब्बत का मीत हो तुम ,
सांसो की खुशी भी तुम हो ।
सर्द हवाओं का झोंका हो तुम,
तन मन का आंचल तुम ही हो ।
तुम ही से है अरमान मेरे ,
जीने की राह भी हो तुम ।
प्यार की जीत हो तुम,
मेरा मनमीत हो तुम।
फूलों से खुशबू हो तुम ,
वीणा की झंकार हो तुम ।
जीवन का आनंद भी तुम हो,
सुनहरे सपने भी तुम ही हो ।
पतझड़ में बाहर हो तुम ,
सावन की फुहार हो तुम।
प्रेम का दीपक भी तुम हो ,
दिल का उजाला हो तुम ।
खामोशी को पढ़ने वाली,
चुलबुली तस्वीर हो तुम।
ऋतु गर्ग
स्वरचित,मौलिक रचना
सिलिगुड़ी,पश्चिम बंगाल