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कहती है आज की नारी - Sarita Singh Singh (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कहती है आज की नारी

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शीर्षक: कहती हैं आज की नारी

जब चाहिए दहेज भारी
क्यों चाहिए शिक्षित नारी।

जब करवाना चाकरी बहू से
क्यों चाहिए नौकरी बहू से।

चाहिए दान में कार और मोटर ।
और चाहिए मुफ्त की नौकर।

बहू चाहिए तुमको गाय।
जो ना कभी चीखे चिल्लाए।
पैर धोवे सदा तुम्हारे ।
पर रहे पीहर के सदा सहारे।

तर त्यौहार में उपहार लाए।
सुंदर कपड़ों से तुम्हें सजाएं।

करते सभी ऐसी मनो कामनाएं।
हमको भी ऐसी मालदार बहू मिल जाए।

भूल जाओ समय दूजा है
पढ़ने का लड़कियों को सूझा है।

अब हम वही जाएंगे जो।
बिना दहेज
हमें ससम्मान ले जाएंगे ।

सरिता सिंह स्वरचित गोरखपुर उत्तर प्रदेश

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