कविताअतुकांत कविता
# चित्राक्षरी फरवरी 21
थम गई ताल
जेस्मिन आंटी बैठी व्हील चेयर पर
चलने फ़िरने से पूरी तरह लाचार
कभी साथ थे हमसफ़र मि दास
आज अकेली ही बैठी हैं यूँ उदास
सपने सा अतीत हो उठा है सजीव
डांस शो में मिल गए थे उन्हें राजीव
नाचते नाचते मिल गए दिल से दिल
सजने लगी थी यूँ ही रोज़ महफ़िल
दोनों हमसफ़र थे नृत्य के दीवाने
ख्वाइशें पूरी होती रही, मचलती रही
अरमान दिल के, नृत्य से थिरकते रहे
ज़माने की नज़र ही शायद लग गई हसीन जोड़ी सदा के लिए बिछड़ गई
हादसे में राजीव खो बैठे अपनी जान
जेस्मिन की बस गुम हो गई पहचान
थम गई कदम से कदम मिलाती ताल
बस यादों में गूँजती वो अब झनकार
सरला मेहता