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खोना - Punam Bhatnagar (Sahitya Arpan)

कहानीप्रेम कहानियाँ

खोना

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आज उम्र के इस दौर में आके पता चला की में ने कितना कुछ खोया है, तब जब तुम मुझे मिले थे, में बहुत छोटी थी
तब तो मुझे प्यार की परिभाषा भी नई पता थी, तब में 10th में थी, तुम 12th में तुम ने मुझे कहा था की तुम मुझे पसंद हो पर मुझे इतनी समझ नई थी, बस अब क्या
सब दोस्तों के कहने पर मेने भी हा, कह दिया था, बस फिर क्या था हमारे मिलने का कार्यक्रम चालू हुआ सब से नजरे बचा कर हम मिलते सब को पता चलने लगा की हम मिलते है, कुछ ही दिनों मैं ये बात हम दोनों के घर पता चली अब क्या था सब खत्म घर से निकालना कही जाना सब बंद हो गया था, हम दोनों के बीच भी सब खत्म हो गया था, फिर में अपने मामा के घर छली क्या गई फिर नई आई तब ये फोन मोबाइल नई होते थे, बस फिर क्या था जब वो मिला तो उस की शादी हो गई थी, मेरी भी शादी हो गई तो भी हम मिले नई बस फोन पर बात हुई जादा तो नहीं बस तुम ठीक हो क्या चल रहा है, पर यह ही बहुत था मेरे लिए, याद आती है वो मुलाकात रास्ते में मिलना तब सिर्फ दूर से देखना कितना सुकून देता था, मन को तुम को
ना पाने दुख मुझे हमेशा रहेगा जब कभी मन उदास होता है तुम को ही याद करता है बहुत पर पता है की में चाह कर भी तुम से नई मिल सकती हूँ, तुम भी खुश हो में भी खुश हूँ, अपने घर में, पर तो भी कभी लगता है की काश हम तब ना डरते ना किसी की परवाह करते तो सायद साथ होते, कभी कभी मन बहुत उदास होता है तुम को याद कर के बहुत इस जन्म में तो हम नई मिल पाए पर अगले जन्म में हम जरूर मिलते हैं वादा है, मेरा पक्का बहुत सारी बातें करनी है तुम से वो जो हम भरीदोपहर में करते थे घर जाने की जल्दी कोई देख ना लें, हमेशा वो डर ना हो तुम फिर कभी नई खोना चाहती इस जन्म मैं तो खो दिया है तुम किसी और के हो

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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

अच्छी रचना है.. थोड़ा और निखार लाने की आवश्यकता है कहीं कहीं शाब्दिक त्रुटि है

दादी की परी
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