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गुलाब की टहनी - Minal Aggarwal (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

गुलाब की टहनी

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  • 3 Min Read

गुलाब की टहनी
आज झुकी हुई है
कुछ मायूस सी है
खामोश भी
कुछ बोल भी नहीं रही है
आज वातावरण में अपनी
भीनी भीनी सुगंध
फैलाकर उसे
सुगंधित भी नहीं बना रही
ऐसा लगता है कि
कांटो का साथ आज
उसे एक दर्द की इंतहा सा
सता रहा है
इसीलिये आज मुस्कुरा नहीं रही
बल्कि
सुबक सुबककर
कतरा कतरा
दरिया दरिया
तन्हा तन्हा
रो रही है है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) - 202001

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