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एक सुहाना सा अहसास - Sudhir Kumar (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

एक सुहाना सा अहसास

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आज मैंने
रोते हुए एक
बच्चे को हँसा दिया
एक चाकलेट का पैकेट देकर
अपने दिल में कुछ खुशनुमा से
अहसासों का साज बजा दिया

उसके लिए ये छोटा सा
एक तोहफा था
मेरे लिए खुश रहने का
एक खूबसूरत मौका था

उस चेहरे पर एक
दिव्य सी मुस्कान थी
उस की छवि उस समय
बालकृष्ण के समान थी

मासूमियत एक नूर बनकर
चेहरे पर बरस रही थी,
मेरे मन की बगिया में
हर एक कली हरष रही थी

उस वामन में जैसे
सिमटा एक विराट था
वह बच्चा था,
मन का सच्चा था
मनमौजी सा
अपनी ही दुनिया का
लगता एक सम्राट था

उसकी इस शान ने,
देवतुल्य पहचान ने,
एक विलक्षण ज्ञान ने
मेरे मन के हर
खालीपन को भर दिया

एक रूहानी अहसास से,
एक अनजानी सी आस से
जिंदगी को बंदगी सा कर दिया

मेरे लिए यह खुशनुमा,
खूबसूरत इत्तफाक था

सचमुच कितनी नूरानी सी,
सचमुच कितनी रूहानी सी
एक दुआ सी सोच सा,
फूलों पर ढलकती ओस सा
सचमुच कितना पाक था

आप मानें या ना मानें
वो लमहा मेरे लिए
ना जाने क्यूँ
इतना खास था

खुदा की सारी खुदाई,
बनकर जैसे एक परछाई,
एक सुहाना सा अहसास
मेरे आस-पास था

द्वारा : सुधीर अधीर

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