कविताअन्य
हाँ माँ तुम ही तो हो
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हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
सृष्टि का हो सहज श्रृंगार
मेरी सांसों का हो आधार
प्रेम का प्रथम अध्याय तुम
हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
हो पुष्प,हो तलवार भी तुम
प्रलय की ललकार भी तुम
धीर ,गंभीर,गरिमा हो तुम
मेरी आत्मा का बल भी तुम
हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
सृष्टि की एकमात्र धुरी तुम
अबला नहीं ,सबला हो तुम
मेरा एहसास ,विश्वास तुम
जीवन के हर क्षण का स्पंदन तुम
हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
जीवन के इस तपते मरुस्थल में
मेरे लिए हो छायादार वृक्ष तुम
तुमसे ही अस्तित्व "अमोल" का
हो मेरे जीवन की निर्मात्री तुम
हाँ माँ तुम ही तो हो
सृष्टि की सर्वोत्तम कृति
स्वलिखित तथा पूणर्तया मौलिक
सी.यस.बोहरा
"अमोल"
मुंबई
महाराष्ट्र