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कौन हो तुम - Sarita Gupta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कौन हो तुम

  • 397
  • 3 Min Read

*कौन हो तुम*

अनदेखी अनजानी अजनबी सी कौन हो तुम ,

तुम्हारा फोन आते ही रिंगटोन दिल में बजने लगती है ,
अब अक्सर रात की नीरवता मुझ पर भारी नहीं पड़ती , तुम्हें जो सोचने लगा हूं ।
मैं अब अकेले में तुम्हें याद कर बरबस मुस्कुरा उठता हूं।
एक आदत सी बन गई हो तुम मेरी जरूरी ।
अब तुम्हारे बिन नहीं रहा जाता ।
कब इन काल्पनिक मुलाकातों से निकलकर मेरे समक्ष आओगी तुम,
मेरी प्रेयसी , मेरी पत्नी बनकर, घूंघट ओढ़े,
सदा सदा के लिए,
मेरी अनदेखी अनजानी अजनबी , अब मेरा तुम्हें देखे बिना गुजारा मुश्किल है ।

मौलिक एवं स्वरचित
सरिता गुप्ता

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Bihari Singh

Bihari Singh 3 years ago

अनुपम एवम् अद्वतीय रचना

Sarita Gupta3 years ago

हार्दिक धन्यवाद सर ।

Bhupendra Sharma

Bhupendra Sharma 3 years ago

Bahut khoob

Sarita Gupta3 years ago

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

Vivek Prajapati

Vivek Prajapati 3 years ago

Khubsurat panktiyan dear

Sarita Gupta3 years ago

हार्दिक धन्यवाद जी ।

भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश

भुवनेश्वर चौरसिया भुनेश 3 years ago

बहुत अच्छी कविता बधाई।

Sarita Gupta3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद ।

jyoti batra

jyoti batra 3 years ago

Nicee

Sarita Gupta3 years ago

जी हार्दिक धन्यवाद ।

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