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दर्द - सोभित ठाकरे (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

दर्द

  • 169
  • 1 Min Read

दर्द गहराता गया
कोई चुपके -चुपके मेरे
जख्मों को सहलाता गया...!
न वो भोर हुई
जिसमें मेरे दर्द की दवा मिले
सुलकते भावों में मैं
अपने आप को बहलाता गया....!!

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Naresh Gurjar

Naresh Gurjar 3 years ago

बहुत खूब

सोभित ठाकरे3 years ago

धन्यवाद

प्रपोजल
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