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सरसों के फ़ूल - Sarla Mehta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

सरसों के फ़ूल

  • 282
  • 2 Min Read

क्षणिकाएँ
*सरसों के फ़ूल*
(1)
फ़ूल सरसों के
ओढ़ाते पीली चूनर
माँ धरा को
नभ को निहारते
लगते हैं मानो
नन्हें से सूरजमुखी
पीत वर्ण इनका
बन गया प्रतीक
ऋतु बसन्त का
अर्पित है,,,,
माँ शारदे को
(2)
प्यारे पीले सुरभित
ये सरसो के फ़ूल
पेट पालते हैं
किसानों का
ये छोटू बड़े काम का
रसोई का राजा
रक्षक है कइयों का
हाँ, खाद्य पदार्थों का
रंग पीला द्योतक
शान्ति व त्याग का

सरला मेहता
स्वरचित

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 4 years ago

बहुत सुन्दर क्षणिकाएं

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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चालाकचतुर बावलागेला आदमी
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