Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
मै वेदनाओं में ही जलता रहा - Anmol Bohra (Sahitya Arpan)

कविताअन्य

मै वेदनाओं में ही जलता रहा

  • 156
  • 5 Min Read

विधा :- कविता

मै वेदनाओं में ही जलता रहा

संतोष से मै सदा अलिप्त रहा
असंतोष के भावों से ग्रस्त रहा
स्वयं से ही मै सदा त्रस्त रहा
जीवन में सदा ही अतृप्त रहा II

कौन छलता जग में मुझको
स्वयं को ही सदा छलता रहा
अपने ही बनाये द्वेष जाल में
स्वयं सदियों से मै पलता रहा II

न समझा ना समझा पाया मै
भाषा किसीको संवेदनाओं की
देकर झूठी सांत्वना स्वयं को
वेदनाओं में ही मै जलता रहा II

सबने दिया प्रेम हर मोड़ पर
पहेली प्रेम की ही बूझ न सका
मै ही सच्चा, मै ही सर्वश्रेष्ठ
इस अहम् के मद में चूर रहा II

न जिया मै स्वयं के लिए कभी
न किसी और के लिए जी सका
रोटी कपडा धन है मात्र जीवन
सदा इन्ही में मै उलझता रहा II

मेरा एकाकी जीवन है मेरी भूल
मैंने चुनें सदा अपने लिए शूल
मै अपने स्वार्थसिद्धि हेतु सदा
अपने ही रिश्तों को छलता रहा II

कल कुछ होगा बदलाव अच्छा
बस इसी झूठी खोखली आस में
निराशा में किरण आशाओं की
हरक्षण "अमोल" मै ढूंढता रहा II

सी.यस.बोहरा
"अमोल"
स्वलिखित तथा पूणर्तया मौलिक

logo.jpeg
user-image
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
दादी की परी
IMG_20191211_201333_1597932915.JPG
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
चालाकचतुर बावलागेला आदमी
1663984935016_1738474951.jpg