कवितालयबद्ध कविता
हौसला तुम्हारा बुलंद हो इतना
मन के भाव पूरे कर जाओ
जीवन हो संघर्षमय जितना
हंसते मुस्कुराते चलते जाओ
मिल जाएगी मंजिल तुमको
हारेंगी परिस्थितियां विपरीत
चलना गिरना गिरकर उठना
जीवन की है यही सब रीत
मुड़कर पीछे ना देखना तुम
बस बढ़ते ही चलना तुम
पाओगे मंजिल जाओगे जीत
मनुष्य होना क्या कम है
जो तुम रोते हो हमको गम है
चलते हो तुम पैरों पर
उनको देखो जो पूरे अपंग है
फिर भी हिम्मत ना हारे वो
झंडे बुलंदी पर गाड़े वो
क्या तुम उनसे भी बदतर हो
क्यों खुद को समझते कमतर हो
एक दिन वर्चस्व बढ़ाओगे
माता पिता का नाम रोशन कर जाओगे
बस,हौसला तुम्हारा बुलंद करो इतना
हर मंजिल पा जाओ तुम
मन के भाव पूरे कर पाओ तुम#maithili