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Ajnabi Si Dastak - Varinderpal kaur babli (Sahitya Arpan)

कवितागीत

Ajnabi Si Dastak

  • 297
  • 8 Min Read

अजनबी सी दस्तक
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अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए
अनजाने एहसास दिल में समा गए
मीलों की दूरियां है फिर भी पास आ गए
अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए |

काश उस अजनबी का एहसास बन जाऊँ
उस के दिल में इस तरह से मैं घर कर जाऊं
ऐसी ख़ुशी मिल गई के अरमान गुदगुदा गए
अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए |

फूलों के काँटों जैसी ज़िंदगी मेरी थी
न कोई आरज़ू न फ़रयाद की थी
दुआ के लिए वो मेरे हाथों को उठा गए
अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए |

दूरिओं से डर लगता था अब दूरियां भी प्यारी है
नज़दीकीयां बन जाएँ ये जो दूरियां हमारी हैं
प्यार की हिफाज़त के मसले उठा लिए
अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए |

पुकारा जो मंज़िल ने तो मैं तेरा हो गया
मेरा दिल तेरे दिल का आशिआना हो गया
तेरे मीठे बोल मेरी रूह से टकरा गए
अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए
अनजाने एहसास दिल में समा गए |

मीलों की दूरियां हैं फिर भी पास आ गए
अजनबी सी दस्तक ने सपने जगा दिए |

ajnabi-si-dastak_1613934427.jpg
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Gaurav Shukla

Gaurav Shukla 4 years ago

बेहतरीन

Varinderpal kaur babli4 years ago

shukriya

प्रपोजल
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