कविताबाल कविता
अब आया है पन्द्रह अगस्त
बच्चे, बूढ़े, जवां सभी हैं आज मस्त
अब आया है पन्द्रह अगस्त......
अहा ! पर्व यह कैसा सुंदर, अजब यह त्योहार
कहां-कहां से लोग जुड़े हैं, देखो अब की बार
करें तिरंगे ध्वज को अर्पण, श्रद्धासुमनों का हार
हाथ हमारे सिर पर धरे, सामने हैं बाबा केदार...।
खड़े पेड़ हैं देवदार के, सीधे सीना ताने
आंधी तूफान सब कुछ झेलें, हार ना अपनी मानें,
कभी नहीं थकती है देखो, नीचे गंगा बहती है
तुम भी ऐसे लगो काम पर, बच्चों तुमसे कहती है......।
तुम ही बनोगे कल के नेता, रखवाले और अधिकारी
देख रही है तुम्हें गौर से, प्यारी भारत भूमि हमारी
ले लो शपथ आज से तुम भी, इसी तरह हो जाओगे व्यस्त
अब आया है पन्द्रह अगस्त........
नेक काम, शुभ काम करोगे, जीवन में इतिहास रचोगे
भारत माता के हित में करना है अर्पित जीवन समस्त
ध्यान रहे ये स्वतंत्रता का सूर्य ना होवे कभी अस्त
अब आया है पन्द्रह अगस्त, अब आया है पन्द्रह अगस्त।।
अमृता पांडे
हल्द्वानी नैनीताल
देवभूमि उत्तराखंड
मौलिक एवं स्वरचित