कवितालयबद्ध कवितागीत
आयोजन - सा.रे.गा.मा.
अधूरी कहानी भाग -1-15
समूह - लफ्जों की उड़ान
विधा- काव्य गीत
विषय - रिमझिम सावन की बूंदे.
====================
[रचना]
धानी चुनर मैं ओढ़ के निकली,
पर बारिश की बूंदों ने रोक ली।
ये काली बदरिया रह-रह गरजे,
रिमझिम सावन की बूंदे बरसे।
अब यूँ देख तुझे दिल मेरा हर्षे,
प्रीत मिलन को मन मेरी तरसे।
मन को जब मैं यूँ रोक न पाई ,
मिलने तुझसे भिंगी चली आई।
संग तेरे तनमन भिंगाने ललसाई,
पर ये लोक लाज ने रोक लगाई।
मेरे प्रियतम अब यूं ना तरसाओ,
तु हाथ पकड़ संग मुझे भिंगाओ।
तेरे ख्वाबों की बूंदों से भंगी हुई हूंँ,
यूँ तेरे यादों में सिहरन बन बैठी हूंँ।
नाम तेरे चुनर ओढ़ली रंग धानी,
हरी चूड़ियों ने की खुब मनमानी।
हे प्रियवर ! अंतर्मन से जब मैं चाही,
अनंत स्वप्न की बूंदों ने मुझे भिंगाई।।
-----------------------------
@©✍️ राजेश कु० वर्मा 'मृदुल'
गिरिडीह (झारखण्ड)
📲7979718193
सुन्दर भाव भरी रचना ।
💐💐
सादर आभार आदरणीया।