Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
इंतजार - Ritu Garg (Sahitya Arpan)

कवितागीत

इंतजार

  • 454
  • 4 Min Read

*इंतजार*
आज भी
राह निहारती है वह दहलीज
नन्हे पैरों ने जहां कदम भरे थे।
दरवाजे के बीच का फासला
खोजता है तुम्हारा वजूद।
तुम गए तो फिर लौट कर ना आए
अभी तक
नजरें वह ढूंढती है अठखेलियां
जहां जवानी ने कदम रखा
जहां तुमने जिद की थी उसे पाने की
सपने सजाने की
धीरे धीरे
कुछ अनसुलझी पहेलीया बुन गए थे
छोड़ गए थे आधी अधूरी जिंदगी
दीवारों की टूटी परत छोड़ गए थे

आजा जल्दी आजा
आंगन की मिट्टी में भी
सूखे झाड़ उगे है
उन्हें हटाने जल्दी सेआजा।

गुनगुनाते हुए
वह रौनक बनकर तुम्हें आना है
गावं की गलियों में तुम को घुमाना है
साईकिल भी नहीं किसी गाड़ी से कम
उस पर बैठकर
जीवन की गाड़ी को आगे बढ़ाना है।
उन अठखेलियां को फिर से जीना है
जीवन के हर पहलू को सजाना है।
ऋतु गर्ग
स्वरचित, मौलिक रचना
सिलीगुड़ी,पश्चिम बंगाल

Screenshot_20210220-163412__01_1613826442.jpg
user-image
Ritu Garg

Ritu Garg 3 years ago

प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त धन्यवाद साहित्य अर्पण

Sarita Gupta

Sarita Gupta 3 years ago

गांव को इंतजार आज भी है । अच्छी रचना ।

Ritu Garg3 years ago

जी धन्यवाद

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
1663935559293_1726911932.jpg
ये ज़िन्दगी के रेले
1663935559293_1726912622.jpg