कवितालयबद्ध कविताअन्य
कभी गलती भी खूबसूरत हो जाती है
किसी की बातें भी दिल में उतर जाती हैं
एक बार जो घुली शहद सी हसी कानों में
उसी चासनी से ज़िन्दगी मीठी हो जाती है
यूं ही जो बैठा था खामोश ,
लिये उथल पुथल समन्द्र की माफिक
सोच में था हजारों सितारों की तरह
कि अचानक से किसमत की रिंग टोन सुनायी दी
देखा फ़ोन तो एक मदमस्त हंसी सुनायी दी
एक सांस में न जानें क्या से क्या तुमने सुना डाला
क्या करूं ,था इतना तरसा
कि तुम्हारें झड़ते फूलों से खुद को भिगा डाला
दिल मन का हाथ पकड़े आगे आगे चलता रहा
ज़िस्म आहों में कभी सुलगता तो कभी पिघलता रहा
जजबातों की तिजोरी खोलने में सकुचाहट थी
फिर भी तुम्हारी पनाहों में आने की फिर से ख्वाहिश थी
यूं ही डरता खुद से लड़ता इश्क की खुशबू सजोटता रहा
तुम्हें खुदा तो खुद को ईबादत लिखता रहा
#गुमशुदा