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मोहब्बत - Alok Singh (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविताअन्य

मोहब्बत

  • 244
  • 4 Min Read

कभी गलती भी खूबसूरत हो जाती है
किसी की बातें भी दिल में उतर जाती हैं
एक बार जो घुली शहद सी हसी कानों में
उसी चासनी से ज़िन्दगी मीठी हो जाती है

यूं ही जो बैठा था खामोश ,
लिये उथल पुथल समन्द्र की माफिक
सोच में था हजारों सितारों की तरह
कि अचानक से किसमत की रिंग टोन सुनायी दी
देखा फ़ोन तो एक मदमस्त हंसी सुनायी दी
एक सांस में न जानें क्या से क्या तुमने सुना डाला
क्या करूं ,था इतना तरसा
कि तुम्हारें झड़ते फूलों से खुद को भिगा डाला
दिल मन का हाथ पकड़े आगे आगे चलता रहा
ज़िस्म आहों में कभी सुलगता तो कभी पिघलता रहा
जजबातों की तिजोरी खोलने में सकुचाहट थी
फिर भी तुम्हारी पनाहों में आने की फिर से ख्वाहिश थी
यूं ही डरता खुद से लड़ता इश्क की खुशबू सजोटता रहा
तुम्हें खुदा तो खुद को ईबादत लिखता रहा
#गुमशुदा

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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 4 years ago

अच्छी कोशिश..👌

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